कर्मकाण्ड भक्ति सागर
दिशाशूल के ऊपर एक पुरानी कहावत है।....
सोम शनीचर पूरब न चालू। मंगल बुध उत्तर दिश कालू।
रवि शुक्र जो पश्चिम जाय। हानि होय पथ सुख नहीं पाए।
बीफे दक्खिन करे पयाना। फिर नहिं समझो ताको आना
- सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- वीरवार या बृहस्पति को दक्षिण दिशा की और यात्रा करना बहुत ही खतरनाक होता है।
दिशाशूल के ऊपर एक पुरानी कहावत है।....
सोम शनीचर पूरब न चालू। मंगल बुध उत्तर दिश कालू।
रवि शुक्र जो पश्चिम जाय। हानि होय पथ सुख नहीं पाए।
बीफे दक्खिन करे पयाना। फिर नहिं समझो ताको आना
- सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- वीरवार या बृहस्पति को दक्षिण दिशा की और यात्रा करना बहुत ही खतरनाक होता है।
दिशाशूल नक्षत्र और योगिनी वास चक्र
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण चारों दिशाओं को सब जानते हैं। लेकिन इनके बीच की अन्य चार दिशाएं सबको याद नहीं रहती। इसलिए आठों दिशाओं तथा उनके नक्षत्र -शूल, दिशाशूल और योगिनी वास को तुरंत अच्छी तरह से समझने के लिए नीचे हम चक्र दिशाशूल नक्षत्र और योगिनी वास चक्र दे रहे हैं।
- इसमें प्रत्येक दिशा के नीचे पहले नक्षत्र का नाम है। फिर वार तथा वारों के अंत में वह तिथियां दी हुई हैं।
- जिन तिथियों को उस दिशा में योगिनी का वास होता है।
- उन तिथियों को उस दिशा में जाने से स्वभावत: यात्री के सम्मुख पड़ती है। दाहिने की योगिनी अशुभ होती है।
- इसलिए जिन तारीखों की योगिनी सम्मुख और दाहिने पड़े उन विधियों को तथा उस दिशा के नीचे जो नक्षत्र और वार लिखे हैं। और नक्षत्र तथा वारो में उस दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- समय शूल उषा काल में पूर्व की, गोधूलि में पश्चिम की, अर्ध रात्रि में उत्तर की, मध्यान काल में दक्षिण को नहीं जाना चाहिए।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण चारों दिशाओं को सब जानते हैं। लेकिन इनके बीच की अन्य चार दिशाएं सबको याद नहीं रहती। इसलिए आठों दिशाओं तथा उनके नक्षत्र -शूल, दिशाशूल और योगिनी वास को तुरंत अच्छी तरह से समझने के लिए नीचे हम चक्र दिशाशूल नक्षत्र और योगिनी वास चक्र दे रहे हैं।
- इसमें प्रत्येक दिशा के नीचे पहले नक्षत्र का नाम है। फिर वार तथा वारों के अंत में वह तिथियां दी हुई हैं।
- जिन तिथियों को उस दिशा में योगिनी का वास होता है।
- उन तिथियों को उस दिशा में जाने से स्वभावत: यात्री के सम्मुख पड़ती है। दाहिने की योगिनी अशुभ होती है।
- इसलिए जिन तारीखों की योगिनी सम्मुख और दाहिने पड़े उन विधियों को तथा उस दिशा के नीचे जो नक्षत्र और वार लिखे हैं। और नक्षत्र तथा वारो में उस दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- समय शूल उषा काल में पूर्व की, गोधूलि में पश्चिम की, अर्ध रात्रि में उत्तर की, मध्यान काल में दक्षिण को नहीं जाना चाहिए।
दक्षिण यात्रा का निषेध
कुंभ और मीन के चंद्रमा में अर्थात पंचक में कदापि न जाए।
कुंभ और मीन के चंद्रमा में अर्थात पंचक में कदापि न जाए।
चंद्रमा की दिशा और उसका शुभाशुभ फल:
मेष, सिंह, धनु, पूर्व, चन्दा, दक्षिण कन्या भविष्य मकरकन्दा। पश्चिम कुम्भ,तुलयां मिथुना, उत्तर कर्क वृचशक,मीना। अर्थात मेष, सिंह और धनु राशि का चंद्रमा को पूर्व में, वृष कन्या और मकर राशि का दक्षिण में, मिथुन तुला और कुंभ का पश्चिम में, कर्क वृचशक, मीन का चंद्रमा उत्तर में रहता है। यात्रा में चंद्रमा समूह या दाहिने शुभ होता है। और पीछे होने से मृत्यु और बायीं ओर होने से हानि होती है।
मेष, सिंह, धनु, पूर्व, चन्दा, दक्षिण कन्या भविष्य मकरकन्दा। पश्चिम कुम्भ,तुलयां मिथुना, उत्तर कर्क वृचशक,मीना। अर्थात मेष, सिंह और धनु राशि का चंद्रमा को पूर्व में, वृष कन्या और मकर राशि का दक्षिण में, मिथुन तुला और कुंभ का पश्चिम में, कर्क वृचशक, मीन का चंद्रमा उत्तर में रहता है। यात्रा में चंद्रमा समूह या दाहिने शुभ होता है। और पीछे होने से मृत्यु और बायीं ओर होने से हानि होती है।
यात्रा के शुभ आशुभ लग्न:
कुंभ महाकुंभ के नवांश में यात्रा कदापि न करें। शुभ लगन वह हैं, जिसमें 1,4,5,7,9, 10, स्थानों में शुभ ग्रह और 6, 3, 10, 11 में पापग्रह हो ,अशुभ लग्न वह है, जिसमें 1,6,,8,12 वे चन्द्रमा 10वे में शनि,7वे में शुक्र, 7,12,6,8वे में लग्नेश हो।
कुंभ महाकुंभ के नवांश में यात्रा कदापि न करें। शुभ लगन वह हैं, जिसमें 1,4,5,7,9, 10, स्थानों में शुभ ग्रह और 6, 3, 10, 11 में पापग्रह हो ,अशुभ लग्न वह है, जिसमें 1,6,,8,12 वे चन्द्रमा 10वे में शनि,7वे में शुक्र, 7,12,6,8वे में लग्नेश हो।
यात्रा विधान :
किन्हीं कारणों से यात्रा के मुहूर्त में ना जा सके तो, उसी मुहूर्त में और ब्राह्मण को जनेऊ-माला, क्षत्रिय को शस्त्र, वैश्य को शहद, घी, शुद्र को फल को अपने वस्त्र में बांध कर किसी के घर या नगर से बाहर जाने की दिशा में प्रस्थान रखे। ऊपर लिखी सभी चीजों के बजाय मन की सबसे प्यारी वस्तु को भी प्रस्थान में रखा जा सकता है।
किन्हीं कारणों से यात्रा के मुहूर्त में ना जा सके तो, उसी मुहूर्त में और ब्राह्मण को जनेऊ-माला, क्षत्रिय को शस्त्र, वैश्य को शहद, घी, शुद्र को फल को अपने वस्त्र में बांध कर किसी के घर या नगर से बाहर जाने की दिशा में प्रस्थान रखे। ऊपर लिखी सभी चीजों के बजाय मन की सबसे प्यारी वस्तु को भी प्रस्थान में रखा जा सकता है।
यात्रा करने से पहले इन चीजों को नहीं करना चाहिए:
यात्रा से पहले त्यागने योग्य वस्तुए: यात्रा पर जाते समय जरूर रखें ध्यान यात्रा करने से पहले इन वस्तुओं को का उपयोग नहीं करना चाहिए:
- यात्रा करने के 3 दिन पहले दूध नहीं पीना चाहिए।
- यात्रा करने के 5 दिन पहले से हजामत नहीं बनानी चाहिए।
- 3 दिन पहले तेल से नहीं लगाना चाहिए।
- 7 दिन पहले से मैथुन नहीं करना चाहिए।
यदि इतना ना हो सके तो कम से कम 1 दिन पहले तो ऊपर लिखी, सभी वस्तुओं को जरूर छोड़ देना चाहिए।
यात्रा से पहले त्यागने योग्य वस्तुए: यात्रा पर जाते समय जरूर रखें ध्यान यात्रा करने से पहले इन वस्तुओं को का उपयोग नहीं करना चाहिए:
- यात्रा करने के 3 दिन पहले दूध नहीं पीना चाहिए।
- यात्रा करने के 5 दिन पहले से हजामत नहीं बनानी चाहिए।
- 3 दिन पहले तेल से नहीं लगाना चाहिए।
- 7 दिन पहले से मैथुन नहीं करना चाहिए।
यदि इतना ना हो सके तो कम से कम 1 दिन पहले तो ऊपर लिखी, सभी वस्तुओं को जरूर छोड़ देना चाहिए।
यात्रा करने से पहले इन वस्तुओं का जरूर उपयोग करना चाहिए।
रवि को पान, सोम को दर्पण, मंगल गुड़ करिए अर्पण ।
बुद्ध को धनिया, बिफै जीरा, शुक्र कहे मोहे दधि का पीरा।
कहे सनी में अदरख पावा ,सुख संपति निश्चय घर लावा।
- रविवार को पान खाकर यात्रा करनी चाहिए।
- सोमवार को शीशे में मुंह देखकर यात्रा करनी चाहिए।
- मंगलवार को गुड़ खाकर यात्रा करनी चाहिए।
- बुधवार को धनिया खाकर के यात्रा करनी चाहिए।
- गुरुवार को जीरा खाना चाहिए।
- शुक्रवार को दही खाकर यात्रा करनी चाहिए और शनिवार को अदरख खा कर के यात्रा करने से सभी कार्य सफल होते हैं।
पण्डित जितेंन्द्र अवस्थी
9993834961
पण्डित जितेंन्द्र अवस्थीरवि को पान, सोम को दर्पण, मंगल गुड़ करिए अर्पण ।
बुद्ध को धनिया, बिफै जीरा, शुक्र कहे मोहे दधि का पीरा।
कहे सनी में अदरख पावा ,सुख संपति निश्चय घर लावा।
- रविवार को पान खाकर यात्रा करनी चाहिए।
- सोमवार को शीशे में मुंह देखकर यात्रा करनी चाहिए।
- मंगलवार को गुड़ खाकर यात्रा करनी चाहिए।
- बुधवार को धनिया खाकर के यात्रा करनी चाहिए।
- गुरुवार को जीरा खाना चाहिए।
- शुक्रवार को दही खाकर यात्रा करनी चाहिए और शनिवार को अदरख खा कर के यात्रा करने से सभी कार्य सफल होते हैं।
9993834961
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